Friday, July 24, 2009

साई बाबा का अमृतमय उपदेश


















एक दिन दोपहर की आरती के बाद जब भक्त अपने-अपने घरों की ओर लौट रहे थे तब बाबा ने उन्हें मधुर वाणी में अमृतमय उपदेश देते हुए इस प्रकार कहा- “तुम कुछ भी, जो मर्जी हो करो, लेकिन यह याद रखो कि तुम जो कुछ भी करते हो, वह सब मुझे पता है। मैं ही सब जीवों का स्वामी हूँ और सबके ह्रदयों में वास करता हूँ । संसार के जितने जडचेतन जीव हैं, वे मेरे ही उदर में समाए हुये हैं। समुचे ब्रह्मांड को नियंत्रित व संचालित करने वाला भी मैं ही हूँ। मैं ही संसार की उत्पत्ति करता हूँ, मैं ही इसका पालन-पोषण करता हूँ और मैं ही संहार करता हूँ। लेकिन जो मेरी भक्ति करते हैं, उन्हें कोई भी, किसी भी प्रकार की हानि नहीं पहुँचा सकता। जो मेरी भक्ति से विमुख (वंचित) रहते हैं, वही माया के मकड-जाल में फँसते हैं।

(जय साई राम)

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