Friday, July 17, 2009

श्री साई बाबा का चरित्र
















इस संसार रुपी सागर में साई बाबा का चरित्र ठीक वैसा ही है जैसे समुद्र में ज्योतिस्तंभ होता है। समुद्र में ज्योतिस्तंभ के सहारे ही सामुद्रिक जहाजों, नावों को चलाने वालों को संभावित खतरे का आभास हो जाता है और दुर्घटना घटने की संभावना नहीं रहती और न ही किसी प्रकार की हानि हो पाती है।

श्री साई सच्चरित्र अमृत से भी मधुर व संसार-पथ को सरल बनाने वाला है। कानों से सुनकर ‘श्री साई सच्चरित्र’ को जब हृदयंगम किया जाता है तो दैहिक बुद्धि (अर्थात देह के प्रति आसक्ति) का नाश हो जाता है और कुशंकाएं गायब हो जाती हैं। इतना ही नहीं बल्कि अहं भाव भी नष्ट भी नष्ट हो जाता है। जब अहं भाव नष्ट हो जाता है तो बुद्धि स्थिर हो जाती है और ज्ञान का प्रकाश हो जाता है जिससे मोक्ष का मार्ग खुलता है।

अर्थात साई बाबा के पावन यश का श्रध्दा-भाव से श्रवण करने पर भक्तो के पाप नष्ट होंगे, पाप नष्ट होने से मोक्ष का मार्ग खुलेगा। इस तरह ‘श्री साई सच्चरित्र’ मोक्ष प्राप्ति का सरल उपाय है।

(जय साई राम)

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